
प्राणायाम श्वास का सचेतन और जान-बूझकर किया गया नियंत्रण और विनियमन है (प्राण का अर्थ है श्वास और आयाम का अर्थ है नियंत्रण करना, विनियमन) हर श्वास में हम न केवल आक्सीजन ही प्राप्त करते हैं अपितु प्राण भी। प्राण ब्रह्माण्ड में व्याप्त ऊर्जा है, विश्व की वह शक्ति है जो सृष्टि-सृजन, संरक्षण और परिवर्तन करती है। यह जीवन और चेतनता का मूल तत्व है। प्राण भोजन में भी मिलता है, और इसीलिए स्वस्थ और संपूर्ण शाकाहारी खाद्य पदार्थ ग्रहण करना अति महत्वपूर्ण है।
प्राणायाम शरीर में प्राण का सचेतन मार्गदर्शन, पौष्टिकता, शारीरिक विषहीनता और सुधरी रोग-निरोधक शक्ति में वृद्धि करता है, और उसी के साथ-साथ आन्तरिक शांति, तनावहीनता व मानसिक स्पष्टता भी प्रदान करता है।
पुराणों में कहा जाता है कि प्रत्येक व्यक्ति के जीवन की लम्बी-अवधि का पूर्व-निर्धारण उसकी श्वासों की संख्या से ही है। योगी पुरुष ''समय-सुरक्षित" रखने का प्रयास करता है और अपने श्वास की गति धीमी रखकर जीवन को बढ़ाने, लम्बा करने का प्रयत्न करता है।* [1].
प्राणायाम के प्रभाव
शारीरिक प्रभाव
-
शरीर का स्वास्थ्य ठीक रखता है।
-
रक्त की शुद्धि करता है।
-
आक्सीजन को शरीर में पहुँचाने में सुधार करता है।
-
फेफड़ों और हृदय को मजबूत करता है।
-
रक्त-चाप को नियमित रखता है।
-
नाड़ी-तंत्र को नियमित, ठीक रखता है।
-
आरोग्य-कर प्रक्रिया और रोगहर चिकित्सा-प्रणाली सुदृढ़ करता है।
-
संक्रामकता निरोधक शक्ति बढ़ाता है।
मानसिक प्रभाव
-
मानसिक बोझ, घबराहट और दबाव को दूर करता है।
-
विचारों और भावनाओं को शान्त करता है।
-
आन्तरिक संतुलन बनाए रखता है।
-
ऊर्जा-अवरोधों को हटा देता है।
आध्यात्मिक प्रभाव
-
ध्यान की गहराइयों में पहुँचाता है।
-
चक्रों (ऊर्जा-केन्द्रों) को जागृत और शुद्ध करता है।
-
चेतना का विस्तार करता है।